विज्ञान क्या है ?what is Science? परिभाषा : विज्ञान सुसंगत एवं क्रमबद्ध ज्ञान है जिसके अंतर्गत ब्रह्माण्ड (Universe) में स्थित सजीव (Living) एवं निर्जीव (Non-Living) घटकों (Component) में होने वाली घटनाओं व परिघटनाओं का अध्ययन प्रयोगों (Practicals) एवं अवलोकनों (Observations) के द्वारा करते हैं। गणित में "प्रयोग" नहीं हैं, इस कारण गणित का अध्ययन कला के विषयों के साथ भी करते हैं। परन्तु गणित के बिना विज्ञान बिल्कुल अधूरा है, क्योंकि समस्त गणनाएँ (Counting) गणित की सहायता से की जाती है। साइंस शब्द की उत्पत्ति (Origin of word Science) : साइंस (Science) एक लैटिन शब्द Scientia से उत्पन्न है जिसका अर्थ है जानना (To know) । विज्ञान की शाखाएँ (Branches of Science): मुख्य रूप से विज्ञान को दो भागों में विभक्त किया गया है- भौतिक विज्ञान (Physical Science ) एवं जीवन विज्ञान (Life Science)। भौतिक विज्ञान में भौतिकी (Physics), रसायन विज्ञान (Chemistry), भूगर्भ विज्ञान (Geology), खगोल विज्ञान (Astronomy), अन्तरिक्ष विज्ञान (Space Science), कम्प्यूटर विज्ञान (Compu...
अति चालकता किसी पदार्थ का वह गुण है जिसके अंतर्गत किसी विशेष परिस्थिति में उस पदार्थ का विद्युत प्रतिरोध शून्य हो जाता है। अतः इस अवस्था में यदि उसमे विद्युत धारा प्रवाहित की जाए, तो उसमें ऊर्जा बिना क्षय के निरंतर प्रवाहित होती रहेगी। ऐसे पदार्थों को अतिचालक पदार्थ कहते हैं।
अति चालकता की खोज सर्वप्रथम नीदरलैंड के भौतिकशास्त्री 'हाइके केमर लिंघ ओनोस' द्वारा 1911 में की गयी थी। उन्होंने अपने एक प्रयोग के दौरान अति निम्न ताप पर पारे (Hg) में इस स्थिति को प्राप्त किया तथा इसे अति चालकता का नाम दिया।
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अति चालकता दो प्रकार की होती है-
1. निम्नतापीय अतिचालकता (Low Temperature Superconductivity)- यह अति चालकता 40 केल्विन से नीचे के तापक्रम पर कार्य करती है।
2. उच्चतापीय अतिचालकता (High Temperature Superconductivity)- यह अतिचालकता 40 केल्विन से अधिक तापमान पर कार्य करती है।
निम्नतापीय अतिचालकता की खोज 1911 में 'केमर लिंघ ओनोस' द्वारा की गयी जिसमें Hg, H, Pb आदि कार्यरत हैं। उच्चतापीय अतिचालकता की खोज 1986 में जॉर्ज बेडनर्ज म्यूलर द्वारा की गयी जिसमें Ba, क्यूप्रिक ऑक्साइड आदि कार्यरत हैं।
क्रान्तिक ताप (Critical Temperature)- वह निम्नतम तापमान जिस पर किसी चालक का प्रतिरोध पूर्णतः समाप्त अथवा शून्य हो जाता है, उसे उस चालक का क्रान्तिक ताप कहते हैं।
वर्तमान समय में अतिचालकों में सबसे बड़ी समस्या इन्हें अति निम्न तापमान पर बनाए रखना है। इस हेतु इन्हे द्रव हीलियम में रखना होता है जो कि व्यवहारिक दृष्टि से अत्यंत कठिन है।
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अतिचालकों के अनुप्रयोग (Application of Superconductors)-
- प्रतिचुंबकत्व का गुण होने के कारण ये पदार्थ चुंबकीय क्षेत्र से दूर भागते है जिससे चुंबकीय शक्तियाँ इन्हे प्रभावित नहीं करती अतः अतिचालक पदार्थों का प्रयोग चुंबकीय कवच के रूप में किया जाता है।
- अतिचालक के रूप में SQUID (Super Conductor Quantum Interference Devices) का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसन्धान तथा रोगों के पहचान हेतु किया जाता है।
- मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) या न्यूक्लिअर मैग्नेटो रेजोनेंस (NMR) मशीनों में भी इनका प्रयोग किया जाता है।
- सुपर कंप्यूटर में इन पदार्थो का उपयोग करके उसमें से निकलने वाली तापीय ऊर्जा की मात्रा में कमी की जा सकती है जिससे सुपर कंप्यूटर की क्षमता बढ़ती है तथा उसका आकार कम होता है।
- बुलेट ट्रेनों के निर्माण में प्रयोग की जाने वाली तकनीकि में भी इन पदार्थों का उपयोग करके उसकी दक्षता में वृद्धि की जाती है।
- विद्युत शक्ति को प्रेषित करने के लिए अति चालकों से बने तारों का प्रयोग करके इस प्रक्रिया के दौरान होने वाली ऊर्जा क्षति को लगभग समाप्त किया जा सकता है।
इस प्रकार अतिचालक पदार्थों का प्रयोग अनेक आधुनिक तकनीकों में किया जा सकता है तथा उनकी क्षमता एवं दक्षता को बढ़ाया जा सकता है जो की भविष्य में चिकित्सा, परिवहन, ऊर्जा सुरक्षा, विद्युत प्रेषण आदि के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है।
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