सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Scientificgyanvarsha

विज्ञान क्या है? What is Science?

विज्ञान क्या है ?what is Science? परिभाषा :   विज्ञान सुसंगत एवं क्रमबद्ध ज्ञान है जिसके अंतर्गत ब्रह्माण्ड (Universe) में स्थित सजीव (Living) एवं निर्जीव (Non-Living) घटकों (Component) में होने वाली घटनाओं व परिघटनाओं का  अध्ययन प्रयोगों (Practicals) एवं अवलोकनों (Observations) के द्वारा करते हैं। गणित में "प्रयोग" नहीं हैं, इस कारण गणित का अध्ययन कला के विषयों के साथ भी करते हैं। परन्तु गणित के बिना विज्ञान बिल्कुल अधूरा है, क्योंकि समस्त गणनाएँ (Counting) गणित की सहायता से की जाती है।   साइंस शब्द की उत्पत्ति (Origin of word Science) : साइंस  (Science) एक लैटिन शब्द Scientia से उत्पन्न है जिसका अर्थ है जानना (To know) । विज्ञान की शाखाएँ (Branches of Science):  मुख्य रूप से विज्ञान को दो भागों में विभक्त किया गया है- भौतिक विज्ञान (Physical Science ) एवं जीवन विज्ञान (Life Science)। भौतिक विज्ञान में भौतिकी (Physics), रसायन विज्ञान (Chemistry), भूगर्भ विज्ञान (Geology), खगोल विज्ञान (Astronomy), अन्तरिक्ष विज्ञान (Space Science), कम्प्यूटर विज्ञान (Compu...

नैनो प्रौद्योगिकी

               नैनो प्रौद्योगिकी

" नैनो टेक्नोलॉजी का नारा है –" अति लघु, अति तीव्र, बहुत अधिक कार्य कुशल"

नैनो ग्रीक भाषा का शब्द है जिसका उद्भव नैनोज शब्द से हुआ है जिसका शाब्दिक अर्थ है बौना । परंतु अंतरराष्ट्रीय मापन प्रणाली में इसका व्यापक अर्थ निकलता है यह एक मीटर का अरबवां हिस्सा होता है जिसको 10 -9 से दर्शाते हैं


नैनो टेक्नोलॉजी शब्द के इतिहास के बारे में बताया गया है कि दिसंबर 1959 में अमेरिकन फिजिकल सोसायटी की वार्षिक बैठक में नोबेल पुरस्कार विजेता रिचर्ड फाइनमैन ने एक बहुत ही अद्भुत एवं ओजपूर्ण व्याख्यान देते हुए कहा कि " सैद्धांतिक रूप से बेहद सूक्ष्म स्तर पर पदार्थों को मनचाहे ढंग से नियंत्रित और व्यवस्थित कर पाना संभव है मेरे विचार से नीचे की तरफ काफी जगह है (There in plenty of space at the bottom).


फाइनमैन के द्वारा उपरोक्त कही गई बातों को हम आसानी से इस प्रकार समझ सकते हैं कि काफी सूक्ष्म ( नैनो) स्तर पर पदार्थों पर शोध- अध्ययन की काफी संभावनाएं हैं ।


फाइनमैन के उक्त कथन के उपरांत वैज्ञानिकों का रुझान नैनो प्रौद्योगिकी और उसकी बारीकियों के अध्ययन की ओर बढ़ गया समय के साथ  नैनो प्रौद्योगिकी हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया ।


जैव प्रौद्योगिकी वास्तव में अध्ययन की एक शाखा का आकार ले लिया जिसके अंतर्गत पदार्थों की सूक्ष्म संरचना में उस की रासायनिक संरचना, परमाणु के व्यवस्थित क्रम आदि का अध्ययन किया जाता है नैनो प्रौद्योगिकी के माध्यम से नैनो पैमाने पर किसी पदार्थ को व्यवस्थित एवं नियंत्रित तरीके से जोड़ तोड़कर एक ऐच्छिक आकार एवं कार्य क्षमता से युक्त पदार्थ का निर्माण किया जा सकता है ।


वैज्ञानिकों का कथन है कि "पदार्थों के स्थूल गुणधर्म का परमाण्विक गुणधर्म में रूपांतरण नैनोमीटर स्तर पर ही होता है ।" यह मिलकर गुच्छों  के रूप में एक यूनिट का सृजन करते हैं इन्हीं गुच्छों  को नैनो कण , क्वांटम डॉट, क्यू –कण या कृत्रिम परमाणु आदि की संज्ञा दी जाती है ।

किसी भी आवश्यक वस्तु के निर्माण में प्रयोग किए जाने वाले सभी तरह के अणुओं , परमाणुओं  की सही पहचान करके, आस पास उपलब्ध मिट्टी, पानी, हवा या किसी प्राकृतिक संसाधन से उन्हें आवश्यक मात्रा में  अलग करके इच्छा अनुसार वस्तु  की संरचना के अनुरूप सही ढंग से व्यवस्थित कर आवश्यकतानुसार निर्माण कर लिया जाता है ।


नैनो प्रौद्योगिकी की आवश्यकता एवं उसका महत्व –

अपने व्याख्यान में रिचर्ड फाइन मैन ने नैनो प्रौद्योगिकी की आवश्यकता और उसके महत्व को भली-भांति समझाया है । इसके अनेकों फायदे हैं जिसे हम निम्न बिंदुओं के आधार पर समझ सकते हैं ।
किसी वस्तु की उत्पादन लागत में कमी आएगी 

  • किसी कार्य को करने में उपयोग होने वाली ऊर्जा में कमी आएगी ।
  • किसी वस्तु की उत्पादन लागत में कमी आएगी ।
  •  उत्पाद की गुणवत्ता में वृद्धि होगी ।
  • उत्पाद के आकार में कमी आएगी
नैनो प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अमेरिका चीन, भारत, जापान ,इजराइल समेत अनेकों देश बहुत तरक्की कर चुके हैं ।
इस प्रौद्योगिकी में इलेक्ट्रॉन क्वांटम यांत्रिकी के नियमों का पालन करते हैं जब भी इलेक्ट्रॉन किसी धातु के चालक से होकर गुजरते हैं तो उनका प्रकीर्णन होता है जिसके कारण चालक में विद्युत अवरोध उत्पन्न होता है ।परंतु नैनो ट्यूबों  से होकर इलेक्ट्रॉन बिना प्रकीर्णित हुए सीधे गुजर जाते हैं । वैज्ञानिक इस पर शोध कर नैनो प्रौद्योगिकी की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहे हैं ।

स्पिनट्रानिक युक्तियां- नैनो प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इनका भरपूर उपयोग होता है । इन युक्तियों की कार्यविधि इलेक्ट्रॉनों के स्पिन पर आधारित होती है ।


नैनो प्रौद्योगिकी उपयोग की तकनीकें – टॉप डाउन टेक्निक, बॉटम अप टेक्निक इन दो तकनीकों का प्रयोग करके वैज्ञानिक नैनो स्तर पर अपेक्षित पदार्थों को प्राप्त करते हैं ।


महत्वपूर्ण नैनो पदार्थ – 


1 - नैनो पदार्थ – 

नैनो तार, नैनो कार्बन, अजैविक नैनोट्यूब, वर्षा की बूंदे कोलाइडर , क्वांटम डॉट, फोटो रासायनिक, ज्वालामुखी एवं वाहनों से निकले धुएं के कण आदि महत्वपूर्ण नैनो पदार्थ हैं ।ये एक आयामी से लेकर द्वि आयामी, त्रिआयामी तथा बहुआयामी होते हैं ।


2 -कार्बन नैनोट्यूब – 

वास्तव में ये तापदाबित ग्राफीन परतों की विस्तारित नलिकाएँ  होती हैं । यह हीरे से अधिक कठोर होने के बावजूद सर्वाधिक लचीली, विद्युत सुचालक होती है । इनका प्रयोग नैनो सेंसर, नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स, डिस्प्ले डिवाइस में किया जाता है ।

3 - क्वांटम डॉट्स –

ऐसे अर्द्धचालक कण जिनके मात्र आकार को नियंत्रित करके, ऐसे कण का निर्माण किया जाता है जो प्रकाश के विशिष्ट तरंग दैर्ध्य को उत्सर्जित व अवशोषित कर सकें, क्वांटम डॉट्स कहलाते हैं ।



4 - माइक्रोलेंस –  



स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मनुष्य के बाल के 1 /10 आयतन वाले ऐसे लिंक विकसित किए हैं जो अकेली कोशिका में होने वाले और शोषण आदि की क्रियाओं को मापने की तथा उनके अंदर होने  वाली जैव क्रियाओं को भी दिखाने की क्षमता रखते हैं ।



5 - फुलेरीन –


फुलेरीन रासायनिक रूप से स्थाई तथा अक्रियाशील होते हैं। ये कार्बन के एक जटिल रूप हैं जिसमें कार्बन परमाणु पंचभुजाकार या षटत्रिफलाकार रूप से जोड़कर एक पिजड़ेनुमा संरचना का निर्माण करते हैं जिसे तोड़ने के लिए बहुत अधिक ताप की आवश्यकता होती है । लेजर किरणों द्वारा ग्रेफाइट के वाष्पीकरण से फुलेरीन प्राप्त होता है ।

कार्बन के नैनोट्यूब बेलनाकार फुलेरीन है जिससे पेपर बैटरी का निर्माण होता है और उसके द्वारा स्वचालित वाहनों, वायुयानों , पेसमेकर आदि का निर्माण होता है ।


6 - नैनो अभियान्त्रित बैटरी –

यह एक अद्भुत प्रकार की बैटरी है जो की रक्त या पसीने से शक्ति प्राप्त करने में सक्षम होती है यह पूर्णतया हल्की पतली लचीली  बैटरी होती है ।



नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग –

नैनो प्रौद्योगिकी का दिन प्रतिदिन विस्तार और आए दिन होने वाले शोधों के परिणाम स्वरूप प्राप्त विभिन्न प्रकार के नैनो पदार्थ हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं नैनो प्रौद्योगिकी विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो हमें हर प्रकार से प्रभावित करती है इसके बहुआयामी उपयोगी प्रकृति के कारण ही इसका अनुप्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है ।


1 - जीवन विज्ञान के क्षेत्र में –


क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत एवं संवर्धन में नैनो प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाता है ।सोने एवं लोहे से बने नैनो कण  के माध्यम से नैनो छिद्रों से युक्त विशेष प्रकार के पदार्थों का प्रयोग जहां लक्ष्य होता है उस स्थान तक दवा को पहुंचाने का कार्य किया जाता है ।

2 - चिकित्सा के क्षेत्र में –

अल्जाइमर, कैंसर, ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारियों की पहचान पहले से उपलब्ध ELISA  तकनीक करना कठिन होने के कारण अब नैनो प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके इसकी पहचान अब ज्यादा आसान हो गई है । सोने के नैनो कण  को डीएनए खंडों में जोड़कर इन रोगों की पहचान आसानी से हो जा रही है । क्वांटम डॉट्स के माध्यम से ट्यूमर को आसानी से पहचाना जा रहा है । 


3 - सूचना एवं संचार के क्षेत्र में –




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ और उनका योगदान (Famous Indian Mathematician and their Contribution)

गणित के क्षेत्र मे भारत के कई पुरोधाओं ने अपने कृतित्व से भारतीय गौरव को शीर्षस्थ किया है जिनकी लम्बी सूची है जिन्होने अपने ज्ञान से पूरे विश्व को आलोकित किया है जिनका योगदान अप्रतिम, प्रेरणास्पद, अविस्मरणीय है। आर्यभट्ट :- आर्यभट्ट (476 ई ० -550 ई ० )  प्राचीन भारत के महान ज्योतिषविद तथा गणितज्ञ थे।  इन्होंने आर्यभट्टीय नामक महत्वपूर्ण ज्योतिष ग्रन्थ लिखा जिसमें वर्गमूल, घनमूल, समान्तर श्रेणी तथा विभिन्न प्रकार के समीकरणों का वर्णन है। इसके गणितीय भाग में अंकगणित , बीजगणित, सरल त्रिकोणमिति और गोलीय त्रिकोणमिति, सरल भिन्न, द्विघात समीकरण, घात शृंखला के योग तथा ज्याओं की एक तालिका है।   एक प्राचीन श्लोक के अनुसार आर्यभट्ट गुप्त काल के समय नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति भी थे। आर्यभट्ट ने सबसे सही और सुनिश्चित पाई  (ℼ)  के मान का निरूपण किया था। आर्यभट्ट ने गणित के सूत्रों को श्लोकों के रूप में लिखा था। शून्य की खोज का श्रेय भी आर्यभट्ट को जाता है इनका मानना था की कोई नंबर जैसे 0 का भी अस्तित्व है।  खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भी आर्यभट्ट का महत्वपूर्ण ...

दैनिक जीवन में गणित शिक्षण का महत्व एवं उद्देश्य

"उद्देश्य के साथ कार्य करने का अभिप्राय है बुद्धिमत्ता के साथ कार्य अथवा अर्थपूर्ण ढंग से कार्य करना न कि एक स्वचालित यन्त्र की तरह।"                                                                                                                                        - जॉन डीवी  शिक्षा द्वारा ही एक संपन्न समाज की आधारशिला रखी जा सकती है। जिस समाज में शिक्षा व्यवस्था जैसी होगी, उसी प्रकार के समाज का निर्माण होगा। हमें अगर एक सभ्य समाज का निर्माण करना है तो हमें शिक्षा के उद्देश्यों का निर्धारण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।  उद्देश्य ऐसे हों जिन्हें व्यवहारिक रूप से प्राप्त किया जा सके और जो व्यक्ति ,समाज और देश की आवश्यकताओं को पूर्ण कर सकें।...

विज्ञान क्या है? What is Science?

विज्ञान क्या है ?what is Science? परिभाषा :   विज्ञान सुसंगत एवं क्रमबद्ध ज्ञान है जिसके अंतर्गत ब्रह्माण्ड (Universe) में स्थित सजीव (Living) एवं निर्जीव (Non-Living) घटकों (Component) में होने वाली घटनाओं व परिघटनाओं का  अध्ययन प्रयोगों (Practicals) एवं अवलोकनों (Observations) के द्वारा करते हैं। गणित में "प्रयोग" नहीं हैं, इस कारण गणित का अध्ययन कला के विषयों के साथ भी करते हैं। परन्तु गणित के बिना विज्ञान बिल्कुल अधूरा है, क्योंकि समस्त गणनाएँ (Counting) गणित की सहायता से की जाती है।   साइंस शब्द की उत्पत्ति (Origin of word Science) : साइंस  (Science) एक लैटिन शब्द Scientia से उत्पन्न है जिसका अर्थ है जानना (To know) । विज्ञान की शाखाएँ (Branches of Science):  मुख्य रूप से विज्ञान को दो भागों में विभक्त किया गया है- भौतिक विज्ञान (Physical Science ) एवं जीवन विज्ञान (Life Science)। भौतिक विज्ञान में भौतिकी (Physics), रसायन विज्ञान (Chemistry), भूगर्भ विज्ञान (Geology), खगोल विज्ञान (Astronomy), अन्तरिक्ष विज्ञान (Space Science), कम्प्यूटर विज्ञान (Compu...