जीवविज्ञान की शाखाएँ(Branches of Biology)
जीवविज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसमें जन्तुओं, वनस्पतियों के साथ साथ सूक्ष्मजीवों का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार जीवविज्ञान की कुल तीन मुख्य शाखाएँ हैं -
1-जन्तु विज्ञान (Zoology)
2-वनस्पति विज्ञान (Botany)
3-सूक्ष्म जीवविज्ञान (Microbiology)
उपर्युक्त मुख्य शाखाओं के अतिरिक्त जीवविज्ञान को अध्ययन की सुविधा के दृष्टिगत विभिन्न शाखाओं में बाँटा गया है जिसका क्रमवार अध्ययन निम्नलिखित है। जीवविज्ञान की अलग-अलग शाखाएँ अपने आप में सम्पूर्ण विषय हैं।
जीवविज्ञान की व्यापक जानकारी के लिये सभी शाखाओं का विशद ज्ञान बहुत आवश्यक है। पूरी जानकारी प्राप्त करने से पहले इन शाखाओं के बारे मे आइये जानते हैं।
1- जीवों की बाह्यआकारिकी या आकृति विज्ञान (External Morphology)-
इसमें जीवो के बाहयरूप रंग ,आकार एवं आकृति तथा आमाप का अध्ययन करते हैं।
2- शारीरिकी (Anatomy) -
इसमें जीवो के विभिन्न अंगों के अनुप्रस्थ एवं अनुदैर्ध्य काट की सहायता से आंतरिक रचना का अध्ययन किया जाता है इसको आंतरिक आकारिकी के नाम से भी जानते हैं।
3- ऊतक विज्ञान या औतिकी (Histology )-
इसमें हम सूक्ष्मदर्शी की सहायता से ऊतकों व उसके व्यवस्थित होने के क्रम का अध्ययन करते हैं ऊतकों का अध्ययन ऊतक विज्ञान या औतिकी कहलाता है।
4- कोशिका विज्ञान (Cytology)-
कोशिका विज्ञान के अंतर्गत सूक्ष्मदर्शी की सहायता से कोशिकाओं के अंदर पाए जाने वाले विभिन्न कोशिकांगों का अध्ययन किया जाता है। वर्तमान में हम इसका अध्ययन और जैविक-रसायन एवं आनुवंशिकी क साथ भी करते हैं।अद्यतन इसे कोशिका-जीवविज्ञान (cell Biology) के नाम से जानते हैं।
5- केंद्रक-विज्ञान (Karyology)-
यूकैरियोटिक कोशिकाओं के अन्दर पाये जाने वाले केंद्रक का अध्ययन कैरियोलोजी के अन्तर्गत किया जाता है ।
6- परिस्थिति-विज्ञान या पारिस्थितिकी (Ecology)-
इसके अन्तर्गत जीवों के परस्पर वातावरणीय सबंध, विपरीत जीवों का वातावरण पर प्रभाव एवं वातावरण के अनुसार उसमें अनुकूलता का अध्ययन किया जाता है। भूमि संरक्षण, प्राकृतिक सम्पदा का संरक्षण तथा प्रदूषण आदि का अध्ययन भी इसी शाखा के अंतर्गत किया जाता है।
7- अनुवांशिक-विज्ञान या आनुवंशिकी (Genetics)-
इस शाखा के अंतर्गत संतानों में माता-पिता से स्थानांतरित होने वाले लक्षणों, माता-पिता से संतानों के लक्षणों की समानता एवं उनमें विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है।
8- शरीर क्रिया- विज्ञान (Physiology)-
कोशिका के अंदर सभी रासायनिक व भौतिक परिवर्तन तथा कोशिका एवं वातावरण के बीच विभिन्न पदार्थों के आदान-प्रदान का अध्ययन इस शाखा के अंतर्गत करते हैं जैसे -प्रकाश संश्लेषण, श्वसन, पाचन एवं उत्सर्जन आदि।
9- वर्गीकरण विज्ञान या वर्गिकी (Taxonomy)-
इस शाखा मे जन्तुओं एवं वनस्पतियों का वर्गीकरण उनके विभिन्न लक्षणों के आधार पर किया जाता है।
10-जैव-भूगोल (Bio-Geography)-
पूरे भूमण्डल पर पाये जाने वाले जन्तुओं एवं वनस्पतियों के वितरण भौगोलिक कारणों से उनके उद्गम एवं विकास का अध्ययन इस शाखा के अंतर्गत किया जाता है।
11- भ्रूण-विज्ञान या भ्रौणिकी (Embryology) -
इस शाखा के अंतर्गत नर एवं मादा युग्मकों के निषेचन, जाइगोट के अन्दर होने वाले विकास, बनने वाले भ्रूण व भ्रूण के क्रमबद्ध विकासशील अवस्थाओं का अध्ययन करते हैं।
12- जीवाश्म विज्ञान ( Palaeontology )-
इस शाखा में हम पृथ्वी के पुरातन जंतु एवं पौधे जो अब जीवित नहीं हैं पर उनका आकार प्रकार अभी भी पत्थरों की चट्टानों में छाप के रूप में अथवा ये पृथ्वी के अंदर दबी हुई अवस्था में fossils के रूप में पाये जाते हैं इन्हें हम जीवाश्म भी कहते हैं । पृथ्वी पर वह कैसे और किस तरह से फैले हुए थे और उनकी रचना किस प्रकार की थी तथा वे आज के जीव जंतुओं से किस प्रकार के संबंध रखते हैं इन सभी तथ्यों का अध्ययन इसमें करते हैं।
13- खाद्य प्रौद्योगिकी (Food Technology)-
इसमें हम खाद्य पदार्थों के संरक्षण, प्रसंस्करण, वितरण, स्थानांतरण एवं इसके महत्व का अध्ययन करते हैं।
14- जैव विकास (Organic Evolution)-
पृथ्वी के आरम्भ से अब तक जीवों के उद्भव एवं क्रमिक विकास एवं परिवर्तन का अध्ययन वैज्ञानिक आधार पर करते हैं । सरल जीवों से जटिल जीवों की उत्पत्ति के इस विज्ञान को हम जैव विकास कहते हैं ।
15- जैव प्रौद्योगिकी (Biotechnology)-
इसके अंतर्गत जीवों अथवा उनके उत्पादों का औद्योगिक प्रक्रियाओं के द्वारा अध्ययन किया जाता है।
16- जैवीय-ऊर्जा - विज्ञान (Bioenergetics)-
इसमें जीवों के अन्दर परस्पर ऊर्जा का प्रवाह एवं ऊर्जा रुपांतरण का अध्ययन किया जाता है ।
17- रासायनिक वर्गिकी (Chemotaxonomy)-
इस शाखा के अन्तर्गत जीवों के अन्दर उपस्थित विशेष रसायनों के आधार पर उनका अध्ययन किया जाता है ।
18- जैव सांख्यिकी (Biostatistics)-
इसमें सांख्यिकी एवं गणित के सिद्धान्त के आधार पर जैविक क्रियाओं के परिणामों का सारणीबद्ध तरीके से अध्ययन किया जाता है ।
19- कोशिका वर्गिकी विज्ञान (Cytotaxonomy)-
कोशिका संरचना एवं कोशिकाओं में उपस्थित गुणसूत्र की संरचना के आधार पर जीवों का वर्गीकरण कोशिका-वर्गिकी विज्ञान कहलाता है ।
20- अनुवांशिकी इन्जीनियरी (Genetic Engineering)-
जीवविज्ञान की इस शाखा के अन्तर्गत अनुवांशिक पदार्थों के जोड़ने ,अलग करने तथा गुणसूत्र खण्डों को इच्छानुसार बदलने की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाता है।
21- जैव-प्रजनिकी (Breeding Biology)-
इस शाखा के अंतर्गत नर एवं मादा का चयन करके, चयनित संयोग (selective mating) द्वारा इच्छानुसार जातियाँ /किस्में तैयार की जाती है ।
22- सूक्ष्म- जैविकी या सूक्ष्म जीवविज्ञान (Microbiology)-
इस शाखा के अंतर्गत सूक्ष्म जीवों जैसे जीवाणुओं एवं विषाणुओ व उनसे होने वाले विशेष प्रभावों आदि का अध्ययन किया जाता है।
23- जैव-रसायन (Biochemistry)-
इसमें हम जीवधारियों में पाये जाने वाले विभिन्न रासायनिक पदार्थों व उनकी परस्पर रासायनिक कियाओं का अध्ययन करते हैं।
24- जैव-भौतिकी (Biophysics)-
इस शाखा में भौतिकी के सिध्दांतों के आधार एवं संदर्भ में जैविक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है ।
25- आण्विक-जीवविज्ञान या अणुजैविकी (Molecular Biology)-
इसमे जैव रसायन का विस्तृत अध्ययन आण्विक आधार पर किया जाता है ।
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सादर
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